Bihar Politics: बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने बुधवार को आरोप लगाया कि निवर्तमान अध्यक्ष (स्पीकर) विजय कुमार सिन्हा ने अपने इस्तीफे के बाद सदन की कार्यवाही संचालित करने का उन्हें मौका नहीं देकर ‘‘दलितों का अपमान’’किया। सिन्हा ने अपने इस्तीफे की घोषणा करने और विधानसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करने के बाद कहा था कि भोजनावकाश के बाद के सत्र में जनता दल (यूनाइटेड) के नरेंद्र नारायण यादव पीठासीन होंगे। हजारी भी जद(यू) के विधायक हैं। बाद में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उन्हें ले जाकर विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में बिठाया।
विधानसभा की कार्यवाही के संचालन पर असमंजस
भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले हजारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि विधानसभा अध्यक्ष नहीं चाहते थे कि सदन के पीठासीन एक दलित हों। इसलिए उन्होंने मुझे यह अवसर देने से इनकार किया।’’ भोजनावकाश के बाद नारायण यादव विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन हुए और घोषणा की कि पीठासीन के तौर पर सत्र का संचालन विधानसभा उपाध्यक्ष करेंगे। उपाध्यक्ष ने इसके बाद सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले, सिन्हा के कदम का सदन में संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी ने कड़ा विरोध किया। चौधरी खुद भी विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा, ‘‘सिन्हा ने संकट पैदा किया, लेकिन हमारे पास इससे निकलने का रास्ता है। यादव अपराह्न दो बजे अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन हो सकते हैं और घोषणा कर सकते हैं कि सदन की कार्यवाही का संचालन उपाध्यक्ष करेंगे।’’
जीवन का नया अध्याय शुरू हो चुका है -विजय कुमार सिन्हा
उल्लेखनीय है कि सदन के आज के एजेंडे में नए अध्यक्ष का चुनाव और नई ‘महागठबंधन’ सरकार की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शामिल है। इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद सिन्हा करीब एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यालय गए। वहां उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं अपनी मां की गोद में लौटने जैसा महसूस कर रहा हूं। मेरा कार्यकाल करीब 20 महीने का था जिस दौरान मैंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा मेरे अंदर समाहित किए गए मूल्यों के तहत काम किया। अब नया अध्याय शुरू हो गया है।’’