Bihar Politics: बिहार में सरकार नई है लेकिन मुख्यमंत्री पुराने ही है। बिहार में पिछले 5 साल में यही हो रहा है, सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ही रहते हैं बस गठबंधन के सहयोगी बदल जाते हैं। अब फिर से बिहार में दो परिवारों का राज होगा- लालू परिवार और नीतीश कुमार। करप्शन की काली स्याही को नीतीश कुमार ने भूलकर फिर से तेजस्वी यादव को गले लगा लिया हैं। वहीं, आपको बता दें कि बिहार में 6 अन्य दलों के साथ गठबंधन की सरकार चलाने वाले नीतीश कुमार को भविष्य में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है केवल बड़े सहयोगी राजद (RJD) से। अन्य गठबंधन सहयोगी छोटे दल हैं, जो उनके लिए बड़ा खतरा नहीं होने चाहिए।
महागठबंधन सरकार को इन बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है-
- नीतीश कुमार को राज्य में जंगल राज की वापसी की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पुलिस के जरिए जंगल राज से निपटा जा सकता है।
- राज्य को विकास के पथ पर आगे ले जाने की असली चुनौती सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव दोनों के सामने होगी। वे जानते हैं कि आर्थिक सहायता नहीं मिलेगी। उद्योगपति भी बिहार में निवेश करने से बचेंगे, क्योंकि भाजपा उन पर दबाव जरूर डालेगी। ऐसे में घरेलू स्रोतों से राजस्व अर्जित करना महत्वपूर्ण है। बिहार एक किसान और मजदूर राज्य है, जहां बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती है।
- नई सरकार भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पंजाब और दिल्ली मॉडल का विकल्प चुन सकती है, ताकि किसी भी परियोजना में सरकार का खर्च कम हो।
- सबसे बड़ी चुनौती युवाओं का रोजगार उपलब्ध कराने की होगी। तेजस्वी यादव विपक्ष में रहते हुए सत्ता में आने पर 10 लाख नौकरियां पैदा करने का वादा दृढ़ता के साथ करते रहे हैं। उनके इस वादे पर नीतीश कुमार को गुस्सा आता था और वे तेजस्वी की बात को हवा-हवाई बताकर तंज मारते थे।
- युवाओं को बेरोजगारी भत्ता उपलब्ध कराने की भी चुनौती है। आरजेडी के घोषणा पत्र में बेरोजगार युवाओं को सत्ता में आने पर 1500 रुपये हर महीने बेरोजगारी भत्ता देने का चुनावी वादा किया गया था।
- नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती सरकारी नौकरियों में बिहार के युवाओं के आरक्षण की होगी। तेजस्वी यादव कहते रहे हैं कि उनकी सरकार में नौकरियों में बिहार के युवाओं का आरक्षण 85 फीसदी होगा। तेजस्वी के वादे के मुताबिक, संविदा प्रथा को खत्म कर कर्मचारियों को स्थाई करने की भी चुनौती है।
जब भी दो राजनीतिक ताकतों ने हाथ मिलाया तो जीत गए चुनाव
2024 में लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में सरकार एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गई है। भाजपा के लिए, यह राज्य में लोकसभा चुनावों की एक अकेली यात्रा हो सकती है। वहीं जेडीयू और राजद जैसी पार्टियों को राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिल गया है। बिहार का इतिहास देखें तो जब भी दो राजनीतिक ताकतों ने हाथ मिलाया तो चुनाव जीत गए। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव इसके उदाहरण थे। इस बार भी जब देश में बीजेपी को भारी सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है और दो राजनीतिक ताकतों ने हाथ मिला लिया है, तो बीजेपी को मुश्किल होगी।
जब तेजस्वी ने नीतीश के पैर छुए
नीतीश कुमार आज 8वीं बार बिहार के सीएम तो तेजस्वी यादव दूसरी बार डिप्टी सीएम बन गए हैं। तेजस्वी ने जिस तरह से पूरे माहौल से डील किया, वह दिखाता है कि लालू यादव कि विरासत सही हाथों में गई है और तेजस्वी के अंदर पार्टी को संभालने और राजनीतिक दांव पेंच चलने की पूरी समझ है। सबसे खास बात तब दिखी जब तेजस्वी ने शपथग्रहण के बाद नीतीश कुमार के पैर छुए। तेजस्वी का ये भाव देख कर नीतीश कुमार भी भावुक हो गए और उन्होंने तेजस्वी को गले से लगा लिया। सब कुछ देख कर लगा जैसे इनका रिश्ता पहले से ही इतना मधुर रहा है। हालांकि, ऐसा नहीं है। क्योंकि जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सरकार में थे तो यही तेजस्वी यादव उन्हें हर जगह घेरने की कोशिश करते थे और उन पर तरह-तरह के आरोप लगाते थे।