Bihar Politics: बिहार में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के साथ गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी (BJP) अब एलजेपी (LJP) के बिखरे कुनबे को एकजुट करने में जुट गई है। क्योंकि बीजेपी अगर इस कुनबे को एक कर लेती है तो वोटों के गणित में उसे इसका लाभ मिल सकता है। बिहार में पासवान जाति के 6 फीसदी वोट हैं। ये 6 फीसदी मतदाता लोकजनशक्ति पार्टी के गठन के समय से ही रामविलास पासवान के प्रति वफादार रहे हैं।
चाचा-भतीजा को एकजुट करने की कोशिश
बिहार में बीजेपी को सहयोगी के तौर पर अब केवल लोक जनशक्ति पार्टी का पशुपति पारस गुट बचा है साथ ही चिराग पासवान भी एनडीए के साथ हैं। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी का कोर ग्रुप अब एलजेपी के दोनों धड़ों यानी चाचा (पशुपति कुमार पारस ) और भतीजा (चिराग पासवान) को एक साथ लाने पर विचार कर रहा है। यह मुद्दा कल शाम बीजेपी हेडक्वार्टर में कोर ग्रुप की मीटिंग में भी उठा। साथ ही विधानसभा में और विधानपरिषद में बीजेपी का नेता तय करने पर भी विचार हुआ।
नीतीश को चुनौती देनेवाले चेहरे की तलाश
मीटिंग में इस बात को लेकर भी चर्चा हुई कि पार्टी को जमीनी स्तर पर किस तरह से काम करना होगा ताकि 2024 के चुनावों में एक बार फिर जीत दर्ज की जा सके। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में नीतीश कुमार को चुनौती देने वाला चेहरा खोजने पर भी चर्चा हुई। बीजेपी एलजीपी के दोनों धड़ों को साथ लाकर वोटों की गोलबंदी को और मजबूत करना चाहती है। इसलिए अब पार्टी की कोशिश है कि किसी तरह पुशपति कुमार पारस और चिराग पासवान को साथ लाकर पासवान वोटों पर पकड़ मजबूत की जा सके।
चिराग पासवान ने 2020 में जेडीयू का खेल बिगाड़ा ?
रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की खुले तौर पर आलोचना की थी और चुनाव मैदान में अकेले अपने दम पर उतरी थी। जहां-जहां जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार थे उन सीटों पर चिराग पासवान ने अपने उम्मीदवार उतारे। जेडीयू नेताओं का कहना है कि चिराग पासवान के कारण उनकी पार्टी को 46 सीटों का नुकसान हुआ।नीतीश कुमार ने पहले पासवान जाति को महादलित का र्जा देने से मना कर दिया था। उनका माना था कि पासवान जाति दलितों में संपन्न जाति है। हालांकि बाद में 2018 में रामविलास पासवान के कहने पर नीतीश कुमार ने पासवान जाति को महादलित का दर्जा दे दिया था।