Bihar News : ग्राउंड वाटर में यूरेनियम ने बढ़ाई चिंता, 10 जिलों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए
Bihar News : 10 जिलों से पानी के 100 नमूनों को केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड (CGWB) के लखनऊ केन्द्र पर वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है।
Highlights
- वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए भेजे गए 10 जिलों के सैंपल्स
- केंद्र और राज्य की एजेंसियां हालात से निपटने में जुटीं
Bihar News : बिहार के कुछ जिलों में भूजल में यूरेनियम की मात्रा ज्यादा मिलने से प्रशासन चिंतित है। राज्य के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि 10 जिलों से पानी के 100 नमूनों को केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड (CGWB) के लखनऊ केन्द्र पर वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है। CGWB (मध्य-पूर्व क्षेत्र) के क्षेत्रीय निदेशक ठाकुर ब्रह्मानंद सिंह का कहना है कि पेयजल में यूरेनियम का मिलना लोगों के स्वास्थ्य के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने बताया, ‘पानी के नमूनों को ‘इंडक्टिवली कपल्ड प्लाज्मा मास स्पेक्ट्रोमेट्री’ (आईसीपी-एमएस) के माध्यम से समस्थानिक यूरेनियम विश्लेषण के लिए भेजा गया है। इस तरीके का उपयोग समस्थानिक अनुपात का बेहद सटीक पता लगाने के लिए किया जाता है। रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में कदम उठाए जांएगे।’
जिन जिलों के भूमिगत जल के नमूने हाल में लिये गये है वे इस प्रकार हैं
- नालंदा
- नवादा
- कटिहार
- मधेपुरा
- वैशाली
- सुपौल
- औरंगाबाद
- गया
- सारण
- जहानाबाद
कार्ययोजना पर केंद्र और राज्य की एजेंसियां काम में जुटीं
CGWB (मध्य-पूर्व क्षेत्र) के क्षेत्रीय निदेशक ठाकुर ब्रह्मानंद सिंह ने कहा, ‘सीजीडब्ल्यूबी, बिहार सरकार का लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग और भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण भूजल में यूरेनियम की बढ़ती सांद्रता का पता लगाने और इस परिस्थिति से निपटने के लिए कार्ययोजना तैयार करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।’ राज्य में पहले भी भूजल में यूरेनियम की मात्रा मिली है, ऐसे में पुरानी और नयी रिपोर्ट का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा।
प्रतिलीटर 30 माइक्रोग्राम यूरेनियम हो सकता है
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने पेयजल में यूरेनियम की मात्रा को लेकर कोई मानक तय नहीं किया है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानदंड के हिसाब से पीने के पानी में प्रतिलीटर 30 माइक्रोग्राम यूरेनियम हो सकता है। सिंह ने कहा कि 2019-20 के दौरान सीजीडब्ल्यूबी ने देशभर से भूजल के कुल 14,377 नमूने लिए थे ताकि यूरेनियम की मौजूदी के संबंध में जांच की जा सके। उन्होंने बताया कि बिहार से 634 नमूनों का विश्लेषण किया गया था जिसमें पता चला कि 11 नमूनों में भारी धातु की मात्रा डब्ल्यूएचओ द्वारा तय सीमा से अधिक है। विश्लेषण में पता चला कि सारण, भभुआ, खगड़िया, मधेपुरा, नवादा, शेखपुरा, पूर्णिया, किशनगंज और बेगूसराय के भूजल में यूरेनियम की मात्रा ज्यादा है।
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
भारी धातु की मौजूदगी के कुप्रभावों के संबंध में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने बताया, ‘भूजल का यूरेनियम से दूषित होना गंभीर चिंता का विषय है और यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ऐसे पानी के ज्यादा सेवन से हड्डियों की बीमारी हो सकती है, किडनी खराब हो सकती हैं और कैंसर भी हो सकता है।’ उन्होंने कहा कि बोर्ड ने अपने अध्ययन में पाया कि बिहार का भूजल यूरेनियम से भी दूषित है। उन्होंने कहा कि अनुसंधानकर्ताओं को इस निष्कर्ष तक पहुंचने में डेढ़ साल का वक्त लगा।
इनपुट-भाषा