Bihar News: बिहार सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री रामसूरत राय ने एक विवादित बयान दे कर अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी है। रामसूरत राय का कहना है कि उन्होंने 80 विधायकों के कहने पर उनका सम्मान किया और अधिकारियों के ट्रांसफर किए। दरअसल, ये बयान मंत्री रामसूरत राय ने तब दिया जब राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हुए तबादले को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। नीतीश कुमार के इस फैसले से नाराज रामसूरत राय ने कहा कि मंत्री को ट्रांसफर का अधिकार है और यह अधिकार उनका नहीं है तो उनका जनता के बीच जाना बेकार है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ट्रांसफर पर रोक वाले आदेश से नाराज मंत्री रामसूरत राय ने अब अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। मंत्री ने कहा है कि समीक्षा के बाद जिसका जहां जाना होगा जाएगा। रामसूरत राय का कहना है कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है जिससे सरकार की कोई बदनामी हो। उनका कहना है कि उन्होंने केवल विधायकों का सम्मान किया है। मंत्री रामसूरत राय कहते हैं कि अगर विधायकों का सम्मान करना सही है तो ट्रांसफर सही हैं और अगर सम्मान करना गलत है तो अधिकारियों का ट्रांसफर भी गलत है।
सौ से ज्यादा सीओ और अधिकारियों के तबादले
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में 30 जून को एक साथ 100 से ज्यादा सीओ और अधिकारियों के तबादले हुए थे। जिसको लेकर नीतीश कुमार के पास शिकायत पहुंची थी, इसके बाद ही नीतीश कुमार ने इन तबादलों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। मंत्री रामसूरत राय इस मामले को लेकर कहते हैं कि भ्रष्टाचारी और दलाल चाहते हैं कि रामसूरत राय मंत्रिमंडल से हट जाएं, क्योंकि वही उनकी बुराई कर रहे हैं। मंत्री का कहना है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग पर इस वक्त भू-माफियाओं का कब्जा है, उन्हीं भू-माफियाओं की कमर तोड़ने के लिए मैं पिछले 20 महीनों से लगातार नियम बदल रहा हूं। मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि उन्होंने ये ट्रांसफर बीजेपी, जेडीयू विधायकों समेत तकरीबन 80 विधायकों की अनुशंसा पर अधिकारियों के ट्रांसफर किए थे।
जनता के बीच नहीं जाएंगे
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ट्रांसफर पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने को लेकर बीजेपी कोटे के बिहार सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय का कहना है कि वह नीतीश कुमार के निर्णय का सम्मान करते हैं, लेकिन अब वह जनता दरबार नहीं लगाएंगे। राय ने कहा कि अगर मंत्री को विभाग के अंदर स्वतंत्र अधिकार नहीं मिलेगा तो फिर विभाग चलाना बेवकूफी होगी।