Bihar News: बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मंगलवार को केन्द्र पर कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड ने देने की इच्छा का आरोप लगाया। राज्य के वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार को राजकोष पर बोझ कम करने के लिए फिलहाल कम जरूरी खर्च पर नियंत्रण रखना होगा। चौधरी ने कहा कि राज्य अपना ‘उचित बकाया’ पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा नीत केंद्र सरकार योजनाओं पर राजनीति कर रही है। उसने बिहार के सामाजिक, शिक्षा और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं के लिए अपने हिस्से का धन देना बंद कर दिया है।’’
इतने अनुपात में दिया जाता है फंड
मंत्री ने दावा किया कि केंद्र ने चालू वित्त वर्ष में समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत अपने हिस्से का एक पैसा भी जारी नहीं किया है। समग्र शिक्षा अभियान स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत योजना का वित्त पोषण केंद्र और राज्यों द्वारा 60:40 के अनुपात में किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष (2022-23) में राज्य सरकार ने अब तक इस योजना के तहत शिक्षकों को वेतन भुगतान के लिए 3,777 करोड़ रुपये जारी किए हैं। केंद्र द्वारा अब तक कोई फंड जारी नहीं किया गया है।’’
'अनावश्यक खर्च पर नियंत्रण रखने की दी गई सलाह'
मंत्री ने कहा कि सभी विभाग प्रमुखों को फिलहाल अपने अनावश्यक खर्च पर नियंत्रण रखने की सलाह दी गई है। अधिकारियों को उन योजनाओं की पहचान करने के लिए कहा गया है जो अब प्रासंगिक नहीं हैं और जिन्हें बंद किया जा सकता है। वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा भी घटा है। उन्होंने कहा, ‘‘2015-16 से पहले केंद्र से सहायता प्राप्त विभिन्न योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी 90 से 60 प्रतिशत के बीच थी। हाल ही में बिहार ने विभिन्न योजनाओं पर अपना खर्च बढ़ाया है क्योंकि केंद्र ने अपने हिस्से में काफी कमी की है।’’
'यूपी के बाद सबसे ज्यादा मिल रहा फंड'
वित्त मंत्री ने इससे पहले भी एक कार्यक्रम के दौरान सर्व शिक्षा अभियान योजना पर चिंता जताई थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने तब कहा था कि बिहार को ‘‘उत्तर प्रदेश के बाद एसएसए(SSA) योजना के तहत सबसे अधिक राशि मिल रही है।’’ सुशील ने कहा था, ‘‘फंड रिलीज राज्य के शुरुआती बैलेंस, खर्च की गति, ऑडिट रिपोर्ट जमा करने और अन्य मानदंडों के साथ उपयोगिता प्रमाण पत्र पर भी निर्भर करता है।’’