Bihar News: पटना में स्थित 100 साल पुराने सुल्तान महल को न तोड़ने की अपील की
Bihar News: बिहार सरकार ने पटना स्थित सुल्तान पैलेस को ध्वस्त करने का फैसला लिया है। इसके विरोध में आर्कोलॉजिकल सेंटर्स और विरासत होटल के कर्मचारियों ने इसे न तोड़ने की अपील की।
Highlights
- बिहार सरकार ने सुल्तान पैलेस को ध्वस्त करने का फैसला
- लोगों का कहना है कि इससे बिहार पर्यटन पर असर पड़ेगा
- शहर की ''बहुमूल्य संपत्ति'' और समृद्ध वास्तुकला इतिहास को नुकसान होगा
Bihar News: ऐतिहासिक विरासतों से संबंधित एक विश्वविद्यालय केंद्र, विरासत होटल के कर्मचारियों और संस्कृति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों ने बिहार सरकार से पटना में स्थित एक सदी पुराने सुल्तान पैलेस को ध्वस्त नहीं करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि इस कदम से शहर की ''बहुमूल्य संपत्ति'' नष्ट हो जाएगी और समृद्ध वास्तुकला इतिहास को नुकसान होगा। ऐतिहासिक गार्डिनर रोड (अब बीर चंद पटेल रोड) पर स्थित महल, 1922 में पटना के प्रसिद्ध बैरिस्टर सर सुल्तान अहमद द्वारा बनवाया गया था, जिन्होंने पटना उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में काम किया था और 1923-30 के बीच वह पटना विश्वविद्यालय के पहले भारतीय वाइस चांसलर रहे थे। हर साल 19 जुलाई को महल दिवस मनाया जाता है। इस दिन 'नेटवर्क ऑफ यूरोपीयिन रॉयल रेजिडेंस' के तहत साझा विरासत का जश्न मनाया जाता है। यह दिन ऐसी संपत्तियों के मालिकों को इनके इतिहास के बारे में बताने का अवसर प्रदान करता है।
पर्यटन के लिए इस महल को संरक्षित किया जाना चाहिए
भारत में एक अग्रणी निजी विश्वविद्यालय के तहत आने वाले सेंटर फॉर हिस्टोरिक हाउसेस (CHH) ने अधिकारियों से बिहार की राजधानी पटना में स्थित 1922 में निर्मित सुल्तान महल को संरक्षित और बहाल करने की अपील की है। सोनीपत में ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय में CHH की निदेशक एस्थर श्मिट ने कहा, ''भारत में 2020 में पहली बार महल दिवस मनाया गया और हमारे प्लेटफॉर्म के जरिए सोशल मीडिया पर सुल्तान महल के बारे में जानकारी दी गई। यह जानकर दुख हुआ कि सरकार ने बहुमंजिला पांच सितारा होटल बनाने के लिए इसे तोड़ने का प्रस्ताव रखा है। सुल्तान महल एक बहुमूल्य संपत्ति है और इसे न केवल पर्यटकों बल्कि सबको आकर्षित करने के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए।''
सुल्तान महल को तोड़कर बनाया जाएगा नया होटल
बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने हाल में घोषणा की थी कि राज्य के मंत्रिमंडल ने पटना में तीन पांच सितारा होटलों के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इनमें से एक होटल का निर्माण बीर चंद पटेल रोड पर स्थित 100 साल पुराने सुल्तान महल के स्थल पर किया जाएगा। ऐतिहासिक महल को ध्वस्त करने के बिहार सरकार के प्रस्ताव ने इतिहासकारों, संरक्षणवादियों और आम लोगों को भी स्तब्ध कर दिया है, जो एक आवाज में इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने इसे ध्वस्त करने के बजाय संरक्षित करने की अपील की है।
इस फैसले से पर्यटकों और लोगों में नाराजगी साफ दिख रही
मंगलवार को आलीशान विरासत होटलों के कुछ कर्मचारियों ने इस कदम को ''मूर्खतापूर्ण'' और ''अदूरदर्शी'' करार दिया। वाराणसी में ताज नादेसर पैलेस में काम करने वाले विनु विजयन ने कहा, ''हमारे होटल जैसे आलीशान होटलों में, विरासत और इतिहास से रूबरू होने के लिए दूर-दूर से मेहमान आते हैं। 100 साल पुराने महल को ध्वस्त करने और इसकी जगह आधुनिक इमारत खड़ी करने पर वह अनोखा अनुभव कैसे महसूस किया जा सकेगा।'' जून में जैसे ही सुल्तान पैलेस के बारे में निर्णय सार्वजनिक हुआ, सोशल मीडिया पर इसका विरोध किया जाने लगा। सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वालों ने इसे स्तब्धकारी और मूर्खतापूर्ण फैसला करार दिया।
इतिहासकारों ने बिहार सरकार के इस फैसले का बहिष्कार किया
कुछ लोगों ने कुछ साल पहले लिए गए बिहार सरकार के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि पैलेस को विरासत होटल में तब्दील किया जाएगा। उन्होंने पूछा कि सरकार अपने पुराने फैसले से पीछे क्यों हट गई है। दिल्ली में रहने वाली आस्था खन्ना इतिहास और वास्तुकला में दिलचस्पी रखती हैं। उन्होंने पूछा, ''इस अनुपम सौन्दर्य से सराबोर महल को ध्वस्त किए जाने को कौन स्वीकार करेगा?'' उन्होंने कहा, ''मैं जहां की भी यात्रा करती हूं, वहां विरासत संपत्ति में ठहरने का प्रयास करती हूं। मैं पटना को एक ऐतिहासिक शहर के रूप में देखना चाहती हूं, लेकिन मुझे सुनने और पढ़ने को मिलता है कि एक के बाद एक विरासत इमारतें खत्म हो रही हैं, विकास के नाम पर इनको मिटाया जा रहा है। मौजूदा मामला पटना कलेक्टर कार्यालय का है। यदि कल मुझे पटना में कोई विरासत होटल नहीं मिला, तो मैं पटना की यात्रा करना पसंद नहीं करूंगी।''
सुल्तान महल को ध्वस्त करने से एक अमूल्य खजाना बर्बाद हो जाएगा
श्मिट ने कहा कि वह वर्तमान में CHH सहयोगी और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के चार छात्रों के साथ उदयपुर में हैं, जो केंद्र द्वारा पेश किए गए इंटर्नशिप कार्यक्रम के हिस्से के रूप में भारत में हैं। उन्होंने कहा "हम उदयपुर में लगभग 450 साल पुराने सिटी पैलेस में रह रहे हैं। हम अपने पहले ऑन-साइट कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पैलेस डे को चिह्नित करने के लिए यहां आए थे। 2020 में, लगभग 40 विरासत संपत्तियों ने इसमें भाग लिया था, और पिछले साल संख्या 90 हो गई थी। विचार पूरे भारत में वास्तुशिल्प स्मारकों का जश्न मनाने का है, चाहे वे घरों या लक्जरी होटलों के रूप में सेवा कर रहे हों, और सुल्तान पैलेस एक विरासत प्रवास के लिए एकदम सही है जो अधिक पर्यटकों को लाएगा।