"पियोगे तो मरोगे", मुआवजा न देने के बयान पर घिरे CM नीतीश, सहयोगियों ने भी उठाए सवाल
चिराग पासवान ने कहा, परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए आज सारण गया और यह जानकर दंग रह गया कि प्रशासन उन पर दबाव डाल रहा था कि वे जहरीली शराब से होने वाली मौतों की रिपोर्ट न करें, ताकि त्रासदी की भयावहता को कम किया जा सके।
बिहार के सारण में जहरीली शराब से मौत के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान को लेकर जमकर आलोचना हो रही है। नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में दारू पीकर मरनेवालों के परिजनों को सरकार मुआवजा नहीं देगी। इस बयान को लेकर सीएम नीतीश को विरोधियों के साथ-साथ सहयोगियों की ओर से भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
सारण जिला प्रशासन ने जहरीली शराब के संदिग्ध सेवन के बाद मंगलवार रात से अब तक 30 मौतों की पुष्टि की है, जो छह साल पहले शराबबंदी के बाद से राज्य में सबसे बड़ी त्रासदी है। हालांकि, विपक्षी दल बीजेपी ने बिहार विधानसभा के भीतर और राज्यपाल फागू चौहान को सौंपे गए एक ज्ञापन में लोजपा नेता चिराग पासवान ने दावा किया है कि मरने वालों की संख्या 100 से अधिक है।
चिराग ने बताया, "मैं शोक संतप्त परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए आज सारण गया और यह जानकर दंग रह गया कि प्रशासन उन पर दबाव डाल रहा था कि वे जहरीली शराब से होने वाली मौतों की रिपोर्ट न करें, ताकि त्रासदी की भयावहता को कम किया जा सके। मुझे बताया गया है कि मरने वालों की संख्या 200 से भी अधिक हो सकती है।"
मुख्यमंत्री की "जिद" पर सवाल
जमुई के सांसद चिराग ने शोक संतप्त परिवार के सदस्यों को अनुग्रह राशि न दिए जाने को लेकर मुख्यमंत्री की "जिद" पर सवाल उठाते हुए कहा, "वह दोहरा मापदंड क्यों अपना रहे हैं। शराबबंदी कानून लागू होने के कुछ ही समय बाद 2016 में निकटवर्ती जिले गोपालगंज में जहरीली शराब कांड हुआ था। उन्होंने तब पीड़ितों को मुआवजा दिया था।"
गौरतलब है कि सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहे नीतीश ने मुआवजे के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए शुक्रवार को कहा था कि प्रदेश में शराबबंदी गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है, सेवन करने वालों ने जिसका उल्लंघन किया है और इसलिए वे इस गंदे काम के लिए किसी मुआवजे के हकदार नहीं हैं।
सुशील मोदी ने सारण का दौरा किया
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश की पिछली एनडीए सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे सुशील कुमार मोदी ने भी अलग से सारण का दौरा किया और पीड़ितों को मुआवजा देने पर समान विचार व्यक्त किए। नीतीश के कभी भरोसेमंद माने जाने वाले सुशील ने कहा, "मुख्यमंत्री ने शराबबंदी के बावजूद 2016 में गोपालगंज के पीड़ितों को मुआवजा दिया था। अब उनका कहना है कि सारण पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने से शराबबंदी प्रभावित होगी। इससे पता चलता है कि वह हर मामले में यू-टर्न लेते रहे हैं।"
चिराग और सुशील नीतीश के उस कथन कि "पियोगे तो मरोगे" पर नाराजगी जताते हुए इसे बेहद असंवेदनशील बताया। राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर, जो बिहार के मुख्यमंत्री के पूर्व करीबी सहयोगी थे, ने कहा कि मुख्यमंत्री की "पियोगे तो मरोगे" की टिप्पणी पर उन्हें नीतीश के साथ काम करने पर पछतावा हो रहा है।
पीड़ित परिवारों के पुनर्वास की भी मांग
बाहर से महागठबंधन सरकार का समर्थन कर रही भाकपा माले ने जहरीली शराब से मरने वालों के परिजनों को केवल मुआवजा ही नहीं, बल्कि पीड़ित परिवारों के पुनर्वास की भी मांग की है। भाकपा माले ने एक बयान में कहा कि वह शराब माफिया और पूरे राज्य में प्रशासनिक मशीनरी, जिसे उन्होंने सारण जहर त्रासदी के लिए जिम्मेदार ठहराया है, के बीच सांठ-गांठ के विरोध में सोमवार को सड़कों पर उतरेगी। पार्टी ने कहा कि उसने स्थिति का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को वर्तमान और पूर्व विधायकों सहित तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को सारण भेजा था।
गौरतलब है कि सीवान प्रशासन ने सारण जिले के कुछ हिस्सों में संदिग्ध जहरीली शराब के सेवन से छह लोगों की मौत की पुष्टि की है। भाकपा माले ने यह भी कहा है कि सरकार को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और न केवल अनुग्रह राशि का भुगतान करने के लिए सहमत होना चाहिए, बल्कि उन लोगों के इलाज की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, जो शराब पीकर बीमार पड़ गए हैं। पार्टी ने कहा कि इस त्रासदी में मरने वाले लोगों के बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।