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Hindi News बिहार शर्मनाक वारदात: बिना बेहोश किए महिलाओं के हाथ-पैर पकड़कर की गई नसबंदी, मुंह में ठूंसी गई रुई, दर्द से तड़पती रहीं

शर्मनाक वारदात: बिना बेहोश किए महिलाओं के हाथ-पैर पकड़कर की गई नसबंदी, मुंह में ठूंसी गई रुई, दर्द से तड़पती रहीं

बिहार से एक बड़ी खबर सामने आई है। प्रदेश में बिना बिहोश किए करीब दो दर्जन से अधिक महिलाओं की नसबंदी कर दी गई।

 स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है- India TV Hindi Image Source : SOCIAL MEDIA स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है

बिहार से हैरान करने देने वाला मामला सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जानकारी के मुताबिक, लगभग दो दर्जन महिलाओं की नसबंदी करने दौरान ने डॉक्टरों ने बड़ी चुक की है। इस घटने का चर्चा पूरे प्रदेश में हो रहा है।

हाथ-पैर पकड़ कर दिया नसबंदी 
बिहार के खगड़िया जिले के स्वास्थ्य विभाग की पोल खुल गई है। करीब दो दर्जन महिलाओं की नसबंदी बिना बेहोश किए कर दी गई। महिलाएं परिवार नियोजन ऑपरेशन कराने जिले के अलौली व परबत्ता स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थीं। इसके के बाद मेडिकल स्टाफ ने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया, उनके हाथ-पैर कसकर पकड़ लिए, मुंह में रूई डालकर बिना एनेस्थीसिया के ऑपरेशन कर दिया। महिलाओं ने इसका विरोध भी किया तो अस्पताल प्रशासन ने धमकी दे डाली। 

ऑपरेशन के दौरान दर्द से तड़पती रही महिलाएं 
ऑपरेशन के दौरान और बाद में पीड़िताओं को असहनीय दर्द हुआ। जब मामला तुल पकड़ा तो खगड़िया के सिविल सर्जन अमरनाथ झा ने कहा कि "हमने मामले की जांच शुरू कर दी है और अमानवीय कृत्य के लिए जिम्मेदार एनजीओ से स्पष्टीकरण मांगा है।"स्वास्थ्य विभाग ने ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव नाम के एनजीओ को परिवार नियोजन संचालन का ठेका दिया है। झा ने कहा, "हमने एनजीओ से स्पष्टीकरण मांगा है और इसे ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की है। प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि एनजीओ एक अमानवीय कृत्य में शामिल था।"

ये पहली घटना नहीं है
एनजीओ मरीजों को बेहोश करने के लिए 'ट्यूबेक्टॉमी' नामक एक प्रक्रिया का उपयोग कर रहा है। अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन के समय यह मरीजों पर काम नहीं कर रहा था। राज्य सरकार हर नसबंदी के लिए 2100 रुपये दे रही है। अधिकारी ने कहा कि एनजीओ का यह कृत्य अपराध है, क्योंकि उन्होंने मरीजों की जान जोखिम में डाली है। ऐसी ही एक घटना 2012 में अररिया जिले में हुई थी, जब 53 महिलाओं का परिवार नियोजन ऑपरेशन बिना एनेस्थीसिया के कर दिया गया था। उस समय दोषी चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उनमें से तीन को जेल भेज दिया गया था।