पटना। बिहार में सरकारी कार्यालयों को फिर से खोले जाने और आंशिक प्रतिबंधों के साथ कई व्यवसाय में छूट मिलने से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के कई हिस्सों में सोमवार को सामान्य स्थिति की झलक दिखाई दी। पटना स्थित नया एवं पुराना सचिवालय तथा विश्वेश्वरैया भवन, जहां कई सरकारी विभागों के दफ्तर हैं, लगभग एक महीने से वहाँ व्याप्त सन्नाटा सोमवार को खत्म हुआ पर इन परिसरों में माहौल पूर्व की भांति कोलाहलपूर्ण नहीं दिखा और गेट पर तैनात पुलिस कर्मियों द्वारा स्पष्ट किया गया कि उन्हें सख्त निर्देश हैं कि केवल सरकारी कर्मचारियों को उनके द्वारा पहचान पत्र दिखाने पर जाने की अनुमति दें।
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को कहा था कि बिहार की सभी 8386 पंचायतों में लगभग 40 हजार परियोजनाओं पर 20 अप्रैल से काम शुरू होगा। इससे पांच लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और गरीबों को बड़ी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा था कि गांवों में अस्थायी आधार केंद्र भी बनाये जाएँगे, ताकि मजदूरों के खाते ‘आधार’ से जोड़ना आसान हो।
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा शनिवार को जारी एक आदेश में कहा गया था कि वर्ग-'क' एवं 'ख' के सरकारी सेवक नियमित तौर पर प्रतिदिन कार्यालय आयेंगे । वर्ग-'ग', अन्य न्यून वर्ग तथा संविदा कर्मी के 33% कर्मचारी प्रतिदिन कार्यालय आयेंगे । सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश में कहा गया था कि सभी पदाधिकारी एवं सरकारी सेवकों को कोविड-19 के प्रबंधन संबंधी राष्ट्रीय मार्गदर्शका तथा कार्यालयों में सोशल डिस्टेन्सिंग के लिए निर्धारित मापदंड एसओपी: का अक्षरश: पालन करना होगा।
पटना के बाहरी इलाके में फतुहा प्रखंड कई ईंट भट्ठों ने फिर से उत्पादन शुरू कर दिया है लॉकडाउन के दौरान दी गयी इस छूट को देखते हुए मुज़फ़्फ़रपुर शहर के कई हिस्सों में लोगों के बड़ी संख्या में सड़कों पर निकल आने पर स्थानीय प्रशासन ने उन्हें आगाह किया कि लॉकडाउन अभी भी जारी है और भीड लगाने पर उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम और प्रासंगिक भादवि की धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है।