पटना: जातिगत आधार पर हुए सर्वे में विधायकों को सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आंकड़ा दिया गया है। इसे 2 बजे विधानसभा में पेश किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य वर्ग यानी सवर्णों में सबसे ज्यादा गरीबी भूमिहारों में है। बिहार में 27.58 प्रतिशत भूमिहार आर्थिक रूप से गरीब हैं। उनके कुल परिवारों की संख्या 8 लाख 38 हजार 447 है, जिनमें 2 लाख 31 हजार 211 परिवार गरीब हैं।
गरीबी के मामले में दूसरे नंबर पर ब्राह्मण
हिन्दू सवर्णों में गरीबी के मामले में ब्राह्मण दूसरे नंबर पर हैं। सरकार के मुताबिक, 25.32 प्रतिशत ब्राह्मण परिवार गरीब हैं। बिहार में ब्राह्मण जाति के कुल 10 लाख 76 हजार 563 परिवार हैं। इनमें से 2 लाख 72 हजार 576 परिवार गरीब हैं।
तीसरे नंबर पर राजपूत
सामान्य वर्ग में गरीबी के मामले में तीसरे नंबर पर राजपूतों की संख्या है। जातीय गणना की रिपोर्ट के मुताबिक राजपूतों में 24.89 प्रतिशत आबादी गरीब है। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में राजपूतो के 9 लाख 53 हजार 447 परिवार हैं, जिनमें 2 लाख 37 हजार 412 परिवार को गरीब माना गया है।
कायस्थ सबसे ज्यादा संपन्न
कायस्थों को सबसे ज्यादा संपन्न बताया गया है। सरकार के अनुसार, बिहार में कायस्थों के सिर्फ 13.83 परसेंट लोग ही गरीब हैं। बिहार में कायस्थों के कुल परिवारों की संख्या 1 लाख 70 हजार 985 है। इसमें 23 हजार 639 परिवार ही गरीब हैं।
सवर्ण मानी जाने वाली तीन मुस्लिम जातियों का भी लेखा-जोखा
सरकार ने मुसलमानों में सवर्ण माने जाने वाली तीन मुस्लिम जातियों शेख, पठान और सैयद का भी आर्थिक लेखा जोखा दिया है। सरकार के मुताबिक, शेख जाति के 25.84 परसेंट लोग गरीब हैं। शेख जाति के कुल 10 लाख 38 हजार 88 परिवार हैं, जिनमें 2 लाख 68 हजार 398 परिवार गरीब हैं। वहीं, पठान जाति के 22.20 प्रतिशत परिवार गरीब हैं। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, मुसलमानों के सैयद जाति के 17.61 प्रतिशत परिवार गरीब हैं।
ये है आंकड़ा
- सामान्य वर्ग में 25.09 फीसदी गरीब परिवार
- पिछड़ा वर्ग में 33.16 फीसदी परिवार गरीब
- अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58 फीसदी गरीब परिवार
- अनुसूचित जाति में 42.93 फीसदी गरीब परिवार
- अनुसूचित जनजाति में 42 .70
- अन्य प्रतिवेदित जातियों में 23.72 फीसदी गरीब