Bihar Cabinet Expansion: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज अपना कैबिनेट विस्तार किया। उन्होंने कुल 33 विधायकों को मंत्री बनाया हैं, इनमें सबसे चौंकाने वाला चेहरा तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) का है। तेज प्रताप की एक खास तरह की छवि है वो अजीबोगरीब हरकतों के लिए मशहूर है। ऊटपटांग बयानबाजी करते हैं, उनकी योग्यता सिर्फ इतनी है कि वो लालू यादव के बेटे, तेजस्वी के भाई हैं और उस नाते नीतीश कुमार के भतीजे हैं। इसके अलावा नीतीश मंत्रिमंडल में शपथ लेने वाले 33 में से 11 मंत्री किसी न किसी राजनीतिक परिवार से हैं। 33% से ज्यादा मंत्री किसी राजनीतिक परिवार के भाई, बेटे, बहू या भतीजे हैं।
तेजस्वी ने अपने पास रखा स्वास्थ्य मंत्रालय
अपने बयानों के का कारण हमेशा सुर्खियों में रहने वाले लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव दूसरी बार मंत्री बने हैं। 2015 में जब तेज प्रताप पहली बार मंत्री बने थे तब उन्हें पर्यावरण के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी भी मिली थी। इस बार तेज प्रताप को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री बनाया गया है। तेजस्वी यादव के पास इस बार 4 बड़े मंत्रालय हैं तो वहीं, तेजप्रताप यादव का कद इस बार घटा है। उनके पास केवल एक ही मंत्रालय है। महागठबंधन की पिछली सरकार में उनके पास स्वास्थ्य मंत्रालय था। इस बार यह मंत्रालय उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव ने अपने पास रखा है।
कैसे घटा तेज प्रताप यादव का कद?
मिली जानकारी के मुताबिक RJD कोटे के मंत्रियों के विभाग का बंटवारा लालू यादव और तेजस्वी यादव की मर्जी से ही हुआ है। ऐसे में यह फैसला RJD का ही हो सकता है। वहीं, कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि तेजप्रताप यादव हमेशा विवादों में रहते हैं इसकी वजह से कई बार परिवार और पार्टी असहज हो जाती है। शायद विवादों से बचने के लिए पार्टी की तरफ से उन्हें रनिंग विभाग नहीं दिया गया, जहां हर दिन नई चुनौतियां होती हैं।
Image Source : ptiTej Pratap Yadav
तेज प्रताप ने 12वीं तक की है पढ़ाई
तेज प्रताप का जन्म 21 नवंबर 1987 को बिहार के गोपालगंज में हुआ था। उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया था, लेकिन पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई। तेज प्रताप यादव 2012 में छोटे भाई तेजस्वी के साथ राजनीति में उतरे थे। 2014 में एक विशाल रैली में लालू यादव ने तेज प्रताप को लॉन्च किया था। इसके बाद 2015 में तेज प्रताप ने वैशाली की महुआ सीट से चुनाव लड़ा था और विधायक चुने गए। इसके बाद बिहार सरकार में उन्हें स्वास्थ्य और पर्यावरण मंत्री बनाया गया था। तब तेज प्रताप के छोटे भाई तेजस्वी को डिप्टी सीएम बनाया गया था।
सुप्रीमो के सुपुत्र-सुपुत्री..कबतक मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री?
भतीजावाद के शिकार अकेले नीतीश कुमार नहीं है, बंगाल की पीएम इन वेटिंग ममता बनर्जी की सियासत पर भी भतीजे ने बट्टा लगा रखा है। अगर बिहार-बंगाल से बाहर की बात करें तो तेलंगाना, हिमाचल, यूपी, जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, हरियाणा, आंध्र, तमिलनाडु समेत देश के लगभग सारे राज्यों में जितनी पार्टियां सक्रिय राजनीति में हैं लगभग सभी पिता-पुत्र, चाचा भतीजे की पार्टी बनकर रह गई हैं। देश के सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस की बात करे तो सोनिया-राहुल- प्रियंका इसके अलावा वहां चौथा नेता कोई है ही नहीं। सभी परिवारवादी पार्टियों पर करप्शन के गंभीर आरोप हैं। परिवारवाद भ्रष्टाचार की गंगोत्री है, इसीलिए कल प्रधानमंत्री ने करप्शन और परिवारवाद के खिलाफ लाल किले से आह्वान किया था।
2024 में प्रधानमंत्री पद के जितने भी प्रत्याशीं हैं सब परिवारवाद और करप्शन की कालिख लगी हुई है। नीतीश कुमार अबतक बचे हुए थे आज वो भी भतीजावाद के आगे सरेंडर हो गए।