बिहार के निंदौर में ASI करेगा खुदाई, उत्खनन की मांगी इजाजत, आखिर क्या है मकसद?
ASI ने बिहार के निन्दौर में खुदाई के लिए मुख्यालय से इजाजत मांगी है। निन्दौर में खुदाई करके ASI ये जानना चाहता है कि मगध साम्राज्य के नंद राजाओं इस जगह से क्या रिश्ता था और इसका क्या इतिहास रहा है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI बिहार के कैमूर जिले के ‘निन्दौर’ में खुदाई करना चाहता है। इसको लेकर ASI ने अपने दिल्ली हेडक्वार्टर से इजाजत भी मांगी है। बताया जा रहा है कि ASI खुदाई करके ये पता लगाना चाहता है कि मगध साम्राज्य के नंद राजाओं का इससे क्या संबंध रहा होगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने दिल्ली मुख्यालय को निन्दौर में पुरातात्विक उत्खनन करने के लिए प्रस्ताव सोंपा है। इजाजत मिली तो निन्दौर में ASI खुदाई शुरू कर इस बड़े रहस्य का पता लगाने की कोशिश करेगा।
क्या है निन्दौर में खुदाई का मकसद?
दरअसल, नंद वंश ने 343 और 321 ईसा पूर्व के बीच मगध पर शासन किया था और उनकी राजधानी पाटलिपुत्र (वर्तमान में पटना) थी। ASI, पटना परिक्षेत्र की अधीक्षण पुरातत्वविद् (Superintending Archaeologist) गौतमी भट्टाचार्य ने बताया, "निन्दौर की भौगोलिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। यह पाटलिपुत्र से काशी के बीच एक प्राचीन मार्ग पर स्थित है जो सोन नदी सासाराम-भभुआ से होते हुए है। यह प्राचीन मगध और काशी महाजनपद के बीच सबसे बड़ी नगर बस्ती थी। शुरुआती ऐतिहासिक काल में यह जगह प्रशासनिक और व्यापार केंद्र रहा होगा। यह स्थल पुरातत्वविदों द्वारा पूरी तरह से जांच करने लायक है और यहां पुरातात्विक उत्खनन बेहद फायदेमंद होगा। इसलिए हमने हाल ही में ‘निन्दौर’ में खुदाई करने का एक प्रस्ताव एएसआई मुख्यालय को भेजा है ताकि मगध के नंद राजाओं के साथ इसके संभावित संबंध का पता लगाया जा सके।"
क्यों है निन्दौर का ऐतिहासिक महत्व?
बता दें कि निन्दौर पटना से करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भट्टाचार्य ने बताया कि गांव के ऐतिहासिक महत्व के टीले को पहली बार 1812-13 में एफ. बुकानन द्वारा देखा गया था और फिर साल 1877 में डब्ल्यू डब्ल्यू हंटर द्वारा संदर्भित किया गया था। भट्टाचार्य ने कहा, "बुकानन के अनुसार निन्दौर को नंद राजा का निवास स्थान कहा जाता है। उन्होंने किले के अवशेष, टैंक, ईंट और पत्थरों की संरचनाओं को देखा था। लेकिन वह टीले के पुरातात्विक महत्व और वह कितना पुराना है, का आकलन करने में असमर्थ थे।" उन्होंने कहा, "ऊंचा टीला लगभग 380 गुना 225 मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। टीले पर ईंट और पत्थरों से बनी संरचनाएं, रिंग अच्छी तरह से देखी जा सकती हैं। टीले की भौगोलिक विशेषताओं के अनुसार यह एक प्राचीन नगर बस्ती जैसा प्रतीत होता है।"
उत्तर भारत में फैलाया था साम्राज्य
इतना ही नहीं बताया ये भी जाता है कि टीले से अलग-अलग आकार के बिना तराशे पत्थर, ईंट पाए गए हैं। टीले पर बलुआ पत्थर से बनी मूर्तियों के कुछ टुकड़ों को भी देखा गया। भट्टाचार्य ने कहा कि इस जगह पर देखे गए मिट्टी के बर्तनों में लाल बर्तन ज्यादा जबकि काले बर्तन कम हैं। नंद वंश ने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्से पर शासन किया था। नंदों ने मगध में शिशुनाग वंश को उखाड़ फेंका था और अपने साम्राज्य का उत्तर भारत में विस्तार किया था। इसके संस्थापक महापद्म नंद थे और अंतिम नंद राजा धनानंद थे।